मेरी कलम से
चुपके से आये भारत में, इस प्रलयंकारी तूफ़ान को, अलविदा करो इस धरती से इस "कोरोना" शैतान को। बहुत हो गयी अगवानी यहाँ, बजा बजा कर थालियाँ, मल मल कर धोये हाथों को, अपनों से बनायी दूरियाँ।। सहमा सहमा हर शख़्स यहाँ, गर्दिश में है सारी दुनिया, बरपा है कोरोना का कहर, कैसे दुःख अपना करें बयां। संस्कारों को भूल गए,...