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The Legend Of The Creative Genius – SD Burman

I hold my breath, As I look up to its majesty.

The stars are bright, And they fill me with gaiety.

Behold, I see a star, one shining star

Which pierces the night with its wondrous light?

I see a star, one shining star, Brilliant, bold and bright.

These lines truly amplify the Legendary Music Composer S D Burman, whose gleam still continues to enthral music lovers. He is perennially ensconced in the hearts of his admirers. And the 24th of June dawned at Nehru Centre Auditorium, Worli, to pay a musical tribute to this musical genius, conceptualized by the power pack of energy, Sh. Ashok Kakkar. The evening was adorned with the voices of Dr Jasvinder Narula, Madhushree Bhattacharya, Sanjay Tandon, Shurjo Bhattacharya, Sarvesh Mishra, Anand Vinod and anchored by Sh. SK Jha from Baroda left all spellbound by his deep researched knowledge of the musical stalwart. To add to it, were the spectacular black-white-coloured clippings in the background of every song, wonderfully presented by the dynamic Nirav Ghate ‘Jain’.

The captivating moment of the evening was the felicitation of Ace Guitarist, Dilip Naik, who received a standing ovation on his announcement of donating his prize money to cancer patients. This musical extravaganza event was by Aarya-Veer Entertainment, sponsored by the State Bank of India and Big FM as a Radio partner.

And am sure, all would join me to credit this successful show to the musical genius – Sh. Dinesh Ghate ‘Jain’, whose musical frenzy, fervour, passion, dedication, devotion, zeal and zest contributed to great heights the show attained. Here’s wishing Swar Aalap many more feathers to their cap.

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सुरमित्रों,

तारा पुंज अलौकिक, नभ प्रकाशित सर्वत्र। शुभ सिद्ध अनंत सफल,प्रज्वलित नक्षत्र।।

उपरोक्त पंक्तियाँ चरितार्थ हैं श्रद्धेय कुमार सचिन देवबर्मन जी पर। भारतीय संगीत के आकाश पटल पर यूँ तो अनेकानेक दैदीप्यमान तारे प्रकाशित हैं। परन्तु इन अनेक तारों के समूह में यदि कोई नक्षत्र है तो वह है संगीत ऋषि तुल्य सचिन देवबर्मन का संगीत जो आज भी आकाश गंगा में विद्यमान है।

भारतीय संगीत जगत में एकमात्र सचिन देवबर्मन ऐसे अपवाद हैं जिनकी संगीत रचनात्मकता, सोपान पर गई तो फिर मृत्युपर्यन्त ढलान पर नहीं आयी। यूँ सभी के कॅरियर एक निश्चित अवधि पश्चात धूमिल हुए, मंद पड़े, निस्तेज हुए व असर खोने लगे, परन्तु सचिन देवबर्मन का संगीत कॅरियर ओजस ही रहा। वे एक ऊंचाई से ही स्वर्गारोहण कर गए।

सप्रमाण, ये कथन अपनी सत्यता की कसौटी पर खरा है कि दादा बर्मन ने कभी अपने संगीत को दोहराया नहीं। धुनों का अनुसरण नहीं किया, सुरों को बासी नहीं होने दिया। उन्होंने अपनी लोक संगीत की शैली को नितांत नैसर्गिक रूप से, अल्प वाद्यवृन्द में संयोजित कर के अपने संगीत शुचिता की पवित्रता को चिरस्थायी रखा। किसी ऐसे व्यक्तित्व को जो संगीत जगत के आकाश में नक्षत्र मानिंद विद्यमान है, किंचित आसान नहीं हो जाता के कोई उसके विविध संगीत को एक साधारण सी प्रस्तुति के द्वारा मंच पर उकेर सके। संस्था स्वर-आलाप, मुंबई का ये भागीरथी प्रयास निसंदेह अपने प्रायोजन में शत-प्रतिशत सफल रहा।

सामान्यतः मंचीय प्रस्तुतियों में वो गरिमा का अभाव रहता है जो सचिन देवबर्मन जैसे संगीत नक्षत्र के रचे गीतों की पुनःमंचीय प्रस्तुति में अपेक्षित है। परन्तु विगत 24 जून को मुंबई स्थित नेहरू सेंटर वर्ली सभागृह में संस्था स्वर-आलाप ने जो प्रतिष्ठित प्रसंग आयोजित किया वो अपने ध्येय को दृढ़ता से प्राप्त कर गया। वाद्यवृंद संयोजक आनंद सहस्त्रबुद्धे के कुशल एवम कसे हुए वाद्य संयोजन में,साथी-संगत कलाकारों ने अपने साजों को माँ शारदे द्वारा प्रदत्त वरदान मान कर जो स्वर साधना साध्य की, वो मधुरतम व कर्णप्रिय रही। ऐसे आयोजनों में, एक यक्ष प्रश्न सदा से ही अपेक्षित रहा करता है कि गायक कलाकरों का गायन स्तर, स्वरअभ्यास, मंचीय पोशाक, हाव-भाव-भंगिमाएं किसी सस्ते-सतही लटके-झटकों से दूर ही हो तो अच्छा।

SD BURMAN 4सुविख्यात पार्श्वगायिका मधुश्री भट्टाचार्य, डॉ. जसपिंदर नरूला, संजय टंडन जी, शुरजो भट्टाचार्य, सर्वेश मिश्रा एवम बड़ोदा से आनंद विनोद ने मानो ईश्वरप्रदत्त कंठ का नैसर्गिक प्रदर्शन किया। ऐसा प्रतीत हुआ मानों उनके कंठ से निकले स्वर सीधे आकाशगंगा में स्थापित नक्षत्र सचिन देवबर्मन की स्वर-गंगा को ही प्रतिबिंबित कर रहे हों। सुगंधित पुष्प वाटिका में से कुछेक पुष्प रूपी गीतों का चुनाव एक दुर्लभ कार्य रहता है, पर संस्था स्वर-आलाप ने एस डी बर्मन कृत गीतों की विविधता को अक्षुश्नःत्रुटिहीन प्रस्तुत किया।

जात न पूछो साधू की, पूछ लीजिए ज्ञान।। मोल करो तलवार का, पड़ा रहेगा म्यान।।

धीर गम्भीर मंच संचालक श्री शंकरकुमार झा साहब का शालीन, भारतीय वस्त्र पहन कर, सचिनदा पर शोधपूर्वक विस्तृत जानकारियों द्वारा श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करना एवम ऊंचे पाए के अदबी शेर-ओ-सुखन से प्रत्येक कलाकारों का परिचय देना, इस कार्यक्रम के अनुरूप रहा। एक क्षण के लिए भी इसे सामान्य ऑर्केस्ट्रा शो का आभास नहीं होने देना, सराहनीय है।

प्रत्येक प्रस्तुति के पार्श्व में उस गीत की श्वेत-श्याम-रंगीन झलकियाँ नयनाभिराम व गीत की रोचकता में वृद्धि करने वाली रहीं। युवा शक्ति नीरव घाटे ‘जैन’, निश्चित ही इस चलचित्र संयोजन हेतु प्रशंसा के पात्र हैं।

गुरु ऋणम सदैव रहे, भूलो न उपकार। गुरु वंदन है दक्षिणा, न करना कभी अस्वीकार।।

इस समारोह की प्रतिष्ठा का सोपान रहा वो अद्भुद क्षण, जब भारतीय चित्रपट जगत के लगभग सभी संगीतकारों, म्यूसिकअरेंजर्स की प्रथम पसन्द, सिनेमा संगीत  के सर्वाधिक एकल Solo गिटार के अविस्मरणीय धुनों के रचयिता एवम सिद्धहस्त वादक श्रद्धेय दिलीप नाइक का प्रथम मंचीय सम्मान, वंदन व सार्वजनिक अभिनंदन सुविख्यात गायक पद्मश्री अनूप जलोटा द्वारा किया गया। एक रजत पटल स्मृति चिन्ह इस अवसर पर श्रद्धा राशि सहित, श्रीयुत दिलीप नाइक को आदरांजलि स्वरूप प्रदत्त की गई। श्री दिलीप नाइक की तात्कालिक सदाशयता की सभी दर्शकों ने खड़े हो कर अनवरत तालियां बजाईं जब उन्होंने इस धन राशि को कैंसर ग्रसित रोगी की चिकित्सा हेतु दान कर दी।

SD BURMAN 2प्रत्येक कल्पना के पीछे एक प्रेरणा होती है जो निरन्तर गतिमान रहती है और उस कल्पना को ऊर्जावान रखती है उसकी लक्ष्य प्राप्ति तक। श्री अशोक कक्कर साहब उस ऊर्जा स्रोत के परिचायक हैं जिनके अथक प्रयासों, प्रोत्साहनों से ये नक्षत्र समारोह मंच पर साकार हो सका। उनका सहृदय आभार।

यूँ तो हर सफलता के अनेक माँ-बाप होते हैं, पर इस शत-प्रतिशत सफल आयोजन के पीछे जो भागीरथी प्रयास विगत दिनों से एक व्यक्ति की कल्पना शक्ति, इच्छा शक्ति, शारीरिक शक्ति, अर्थ शक्ति का संगम रहा उस शक्ति का नाम है संस्था स्वर-आलाप के संस्थापक, श्रीयुत दिनेश घाटे ‘जैन’। इस अविस्मरणीय स्वर संध्या पर नक्षत्र सचिन देवबर्मन का आशीर्वाद प्रारम्भ से अंत तक दिनेश घाटे ‘जैन’ पर दीप्तिमान रहा, जिसका मैं भी साक्षी रहा।

श्रेष्ठ रुचि के दर्शकों के अभाव में अनेक प्रसंग अप्रासंगिक हो जाते हैं परन्तु भारतीय स्टेट बैंक ने वित्तीय सहयोग से, सुरुचिपूर्ण सम्मानित निवेशकों को जोड़ा, जो अंत तक इस आर्यवीर एंटरटेनमेंट एवम स्वर आलाप की सविनय प्रयास की सचिन गंगा कर प्रत्यक्षदर्शी रहे। रेडियो बिग एफ एम् ने सहयोगी बन अपनी भूमिका से प्रोत्साहित किया है। अंततः सुश्री नीरजा जैन के प्रशंसनीय, सफल संचालन ने इस प्रतिष्ठित प्रसंग को स्वर आलाप की आगामी प्रस्तुति हेतु एक अदम्य आत्म विश्वास से सिंचित कर दिया।

सुरमित्र – विनीत श्रीवास्तव – इंदौर (म.प्र.)

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Comments (2)

  • dr javed ahmed shah khan Reply

    आपको कोटि कोटि साधुवाद ,उन सृजको और उनके सहयोगियों को इस अंदाज में याद करने पर , गर्मजोशी का मुज़ाहरा ख़ाकिस्तर की ख़ाक झाड़ने में कामयाब रहा ।
    that subtle warmness become flame with your deed …..?????
    thanks swar aalap and dear ghate sir

    13 July 2022 at 7:51 pm
  • Shubha Mehta Reply

    कितना अद्भुत होगा ये समारोह । आपके शब्दों नें इतना खूबसूरत चित्रण किया है । सचमुच सचिन दा का संगीत अमर है । हमारे जैसे श्रोताओं के लिए …वरदान है उनका संगीत ।

    14 July 2022 at 12:54 pm

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